रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Friday 6 November 2015

ज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली

ज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली।
बाँध लाई गाँठ में फिर प्यार दीवाली।

आस के आखर उभर आए हवाओं में
कर रही धन-देवी का सत्कार दीवाली।

बाँध वंदनवार देहरी अल्पना रचकर 
शोभती हर द्वार पर शुभकार दीवाली।

पीर हर, घर-घर सजाती धीर-बाती संग
कोने-कोने इक दिया क्रमवार दीवाली।

जीतकर मावस पटाखे छोड़ हर्षित हो
सत्य की करती तुमुल जयकार दीवाली।

देह से कितनी हों लंबी दूरियाँ चाहे
जोड़ देती नेह के हिय तार दीवाली।

मेट मन से मैल, मंगल भाव के भूषण
सौंपती है विश्व को, हर बार दीवाली।

पूज लक्ष्मी मातु को पावन सुरों के संग
जग मनाता कल्पना खुशवार दीवाली।

-कल्पना रामानी  

2 comments:

जमशेद आज़मी said...

बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति।

Asha Joglekar said...

सुंदर दीपावली।

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